रणवीर इलाहाबादिया के अश्लील कॉमेंट मीडिया अच्छा खासा सुर्खियां बटोर रहे हैं। रणवीर कमेडियन नहीं हैं बल्कि पॉडकास्ट करते हैं। लेकिन ये कोई इक्का दुक्का घटना नहीं। कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में युवा कमेडियन के किसी शो को कोई क्लिप उठा कर देख लीजिए। उनकी भाषा, जेश्चर, जोक्स! गाली-गलौंज और अश्लील शब्द, जो किसी गुंडे मावली को भी पीछे छोड़ दें, ‘कूल’ हो गया है। लड़के ही नहीं लड़कियां भी अब कहाँ किसी से कम हैं। कपिल शर्मा शो का फूहड़पन तो सब जानते ही हैं फिर भी टीआरपी दे रहे हैं। डार्क कॉमेडी के नाम पर एक–दूसरे को बेइज्जती करने वाले कई शो टीवी पर आ चुके हैं।

जब कोई मामला हाइ लाइट हो जाता है तब बहुत से लोग नाम और दाम पाने के लिए उसे और अधिक उछालने लगते हैं। रणवीर और उनकी फैमिली को डैथ थ्रेट मिलने और अपूर्वा माखीजा को रेप और मर्डर थ्रेट मिलने की बात की जा रही है। यहाँ दोनों ही पक्ष गलत लगते हैं। अश्लील कॉमेंट करने वाले और उसका विरोध करने वाले।
वास्तव में ये लोग लोगों का ध्यान आकर्षित करने, अधिक व्यू, लाइक आदि के लिए ऐसा करते हैं। अगर इन्हें अनफॉलो कर दें, शो को बाइकॉट कर दे, उनकी इन्कम कम हो जाएगी। लेकिन मोनालिसा की आँखें, हर्षा रीछरिया के चेहरे, उर्फी जावेयड की ड्रेस और प्रिय प्रकाश के आँख मारने पर फिदा होने वाली हम ‘बेचारी आम जनता’ ये नहीं कर सकते।
जब ‘हाय ब्यूटीफूल’, ‘हाय स्मार्टी’, ‘हाय सेक्सी’, ‘हाय हैंडसम’ अभिवादन बन जाए, जब नंगापन ‘बोल्डनेस’ हो जाए, अश्लीलता ‘कूल’ हो जाए, गाली ‘सहज’ हो जाए तब कितने रणवीर इलाहाबादिया को रोक पाएंगे हमलोग। हर गली, हर चौराहा, हर कॉलेज में ऐसे रणवीर भरे परे हैं।