सब लिए चुनौतीपूर्ण है कोई भी इससे अछूता नहीं है लेकिन हमारे बुजुर्ग इससे सबसे अधिक प्रभावित हैं। वे एक बड़े शारीरिक और मानसिक खतरे से जूझ रहें हैं। वे नौजवान पीढी की तरह तकनीकी के सहारे अपना दिन काटने के आदी तो हैं नहीं, ऐसे में यह अनिवार्य हो जाता है कि आप और हम संकट के इस समय में उन्हें असहाय न महसूस होने दें।

हैदराबाद
घर में होने वाले फैसले में उन्हें भागीदार बनाए
संयुक्त राष्ट्र संघ की शाखा यूएन फार एजिंग की सलाह है कि सभी लोग बुजुर्गों को यह आश्वासन दिलाएँ कि उनके जीवन से जुड़े किसी मामले में उनके निर्णय लेने के अधिकार को नकारा नहीं जाएगा। हर निर्णय में उन्हें भागीदार बनाएँ। उन्हें यह कभी भी नही महसूस होना चाहिए कि वे जीवन के अंतिम चरण में हैं इसलिए उनके जीवन का महत्त्व कम हुआ है।
घर में दुर्व्यवहार
आँकड़ों के अनुसार देश में हर दूसरा बुजुर्ग व्यक्ति घर में होने वाले दुर्व्यवहार से पीड़ित है। यह स्थिति करोना के समय और गहराया है। बुजुर्गों के खिलाफ घर में दुर्व्यवहार के मामले बढ़ गए हैं।
अकेलापन बनी समस्या
भारत में वैसे तो संयुक्त परिवार की प्रथा रही है लेकिन वर्तमान समय में एकल परिवार की प्रथा में बढ़ोत्तरी हुई है। आँकड़े के अनुसार भारत में छह प्रतिशत बुजुर्ग अकेले रहते हैं। लेकिन करोना काल में बारह प्रतिशत बुजुर्गों में अलगाव का भाव उत्पन्न हुआ है।
जरूरी सामान के लिए परेशानी
ऑल इंडिया सीनियर सीटीजन कॉन्फिडेरेशन का कहना है कि बुजुर्ग किराना का सामान खरीदने से लेकर अपनी दवा के इंतजाम जैसी बेहद जरुरी चीजों के लिए बहुत परेशानी झेल रहें हैं।
सामाजिक दूरी बना रही बीमार
कैल्फोर्निया विश्वविद्यालय से अध्ययन में पाया कि आश्रयगृह में रहने वाले बुजुर्ग अकेलेपन की मन:स्थिति में हैं। सामाजिक दूरी बनाने जैसे नियम का पालन कराना उनके अन्दर घबराहट पैदा कर रहा है और वे बीमार हो रहें हैं |
ऐसे बने सहारा
करीबी का अहसास दें
बुजुर्गों को अहसास न होने दें कि उन्हें संक्रमण का खतरा है, इसलिए उनके अपने उनसे दूर जा रहें हैं। यदि आप उनके पास हैं तो अधिक-से-अधिक समय उनके साथ व्यतीत करें। हर दिन उनकी जरूरत का सामान साथ रखें व उनसे बात करते रहें। दूर हैं तो फोन या वीडियो कॉल पर बात करे उनसे। सतत प्रयासरत रहें कि रिश्तेदारों से सम्पर्क बना रहे।
सावधानी बरतना जरूरी
उन्हें लगातार बताएं कि वे कैसे खुद को सुरक्षित रख सकते है। उन्हें बार-बार हाथ धोने के लिए याद दिलाते रहें। उनके मास्क व कपड़ों के सफाई का भी ध्यान रखें।
इम्यून सिस्टम बढ़ाना है जरूरी
बुजूर्गों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है इसलिए उनके खाने-पीने पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। खाने में हरी सब्जियों को अधिक मात्रा में शामिल करें, पानी भी ज्यादा पीते रहें। हल्का-फुल्का व्यायाम करें, हमेशा घर का बना ताजा खाना खाएँ, बासी खाना इम्यून सिस्टम को कमजोर बनाता है।
फोन पर डाक्टरी सलाह
इस वक्त नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस, बेंगलुरु, एम्स दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़, सीएमसी वेल्लोर जैसे संस्थान फोन पर डॉक्टरी सलाह दे रहें हैं। इन चिकित्सा संस्थानों के जरिए समय-समय पर बुजुर्गों को आवश्यकतानुसार डाक्टरी सलाह उपलब्ध करवाया जा सकता है।
इन सब उपायों के जरिए बुजुर्गों को अवसाद, अकेलेपन से बचाया जा सकता है तथा वह मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकतें हैं। सही मायने में इन बातों को अमल में लाकर यह कहावत चरितार्थ होगा “मन के हारे हार है मन की जीते जीत”।
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