उद्देश्य प्रेरित जीवन: कितना जरूरी हैं सफल वृद्धावस्था के लिए?

Share

प्रस्तावना

इतिहास इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि प्राचीन कल मे वृद्धों की स्थिति अत्यंत उन्नत एवं सम्मानीय थी। उन्हें समाज एवं परिवार मे अलग वर्चस्व था। परिवार की समस्त बागडोर उनके हाथों मे हुआ करती थी। परिवार का कोई भी फैसला उनकी सलाह के आधार पर ही होता था। उन्हीं की सत्ता एवं प्रभाव के कारण पहले संयुक्त परिवार हुआ करता था जो परिवार के सदस्यों को एक धागे मे बाँधें रखता था। वर्तमान परिदृश्य मे मानव जीवन भर तो धन संचय और देखभाल में लगा रहता है लेकिन जब वृद्ध अवस्था आती है तो एक सवाल मन में जरुर कौंधता है कि इसे खुशहाल कैसे बना सकते है।




श्रीचंद कामत
दिल्ली

       मेरा मानना है कि धन से बहुमूल्य द्रव्य तो खरीदे जा सकते है परंतु खुशियां नहीं। सफल वृद्धावस्था के लिए सुकून व शांति अत्यंत आवश्यक हैं। एक बुजुर्ग व्यक्ति अपने परिवार की खुशी में ही सुख तलाशता है, अपने बेटे बहू की मुस्कान में ही अपनी हंसी तलाशता है, ऐसे में बहुत ज़रूरी होता है कि माँ बाप अपने बच्चों को काबिल बनाए। उन्हें उनकी जिम्मेदारी का एहसास करवाए। आधुनिक युग में बहुत सी संताने बुढ़ापे में अपने माँ बाप का साथ नहीं देता और अपने बीवी बच्चों के साथ अलग रहता है, क्योंकि उनका स्टैंडर्ड कहीं ना कहीं मेल नहीं खाता है, तो आज के दौर मे माँ बाप को समय के साथ ढ़लना होंगा।

       इसके अतिरिक्त अपको जीवन पर्यन्त खाली नहीं बैठना है कि मेरा रिटायरमेंट हों गया है अब तो सिर्फ आराम करेंगे। एक बात हमेशा याद रखे कि यदि जीवन में कोई मकसद नहीं होगा तो जीवन नीरस लगने लगेगा। कोई न कोई व्यापार व्यवसाय जरूर करते रहे इससे आपका शरीर में दुरुस्त रहेगा, आपमे चैतन्यता होंगी और आपको बोरियत कभी भी नहीं होंगी। बुढ़ापे का मतलब कदापि नहीं है कि खटिया में लेट कर राम नाम का जाप करते रहे, बल्कि इस वक़्त आप अपने अनुभवों से अपने परिवारजनों के काफी काम आ सकते है उन्हें पथ प्रदर्शित कर सकते है। कभी भी खुद को खाली मत रहने दे, अन्यथा जीवन के असली स्वाद को खो देंगे।

Read Also:  वृद्धावस्था में व्यवहार में होने वाले परिवर्तन और उनके कारण

       जब तक जिए तब तक एक विचार मन में बना रहे कि मुझे कैसे अपने परिवार और समाज के काम आना है? ऐसा करने से आपकी आत्मा को कोई मलाल नहीं रह जाएगा और मृत्यु उपरांत जो इससे तृप्ति प्रदान होंगी वो आपके आगे के रास्तों को सुगम बनाएंगी। अर्थपूर्ण बुढ़ापा हम सभी को अपने जीवन में अर्थ और शांति पाने के लिए प्रोत्साहित करता है, और इन प्रथाओं का हमारी उम्र पर क्या प्रभाव पड़ता है, वास्तव में, एक सफल बुढ़ापा बन सकता है।

वृद्धों की समस्याएँ

1. शारीरिक दुर्बलता आयु बढ़ने के साथ व्यक्ति का शरीर शिथिल होने लगता है।

2. मानसिक रोग अस्वस्थता, शरीरिक क्षीणता व मानसिक रोग बहुत कुछ साथ-साथ चलते है।

3. अकेलेपन की समस्या।

4. आर्थिक असुरक्षा की स्थिति।

5. संयुक्त परिवार के अभाव की समस्या।

6. उचित देखभाल की समस्या।

7. मनोरंजन की समस्या।

वृद्धावस्था मे खुशहाल जीवन के उद्देश्यपरक उपाय  

       हम सब खुश रहना चाहते है, एक खुशहाल जिंदगी जीना ही हर इंसान का मकसद है। निम्नलिखित तरकीबों से बहुत हद तक हम विषम परिस्थितयो में भी वृद्धावस्था मे खुश रह सकते है। 

1. चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनाएँ रखे।

2. जिंदगी को ज्यादा गंभीरता से न ले।

 1. हमेशा पॉजिटिव ऐटिटूड बनाएँ रखें।

2. गलतियाँ माफ़ करने की आदत डाले।

3. अपनी भावनाओ को काबू में रखे।

4. वही करे जो आपको पसंद हो। 

5. आराम जरूर करें।

6. सही दोस्तों का चुनाव करें।

7. रिश्ते बनाने में विश्वास रखें।

8. भूत को भूलाकर वर्तमान में ध्यान केन्द्रित करें।

9. आत्मसंतोष पर विश्वास करें।

10. शारीरिक व मानसिक व्यायाम को दिनचर्या मे शामिल करें। 

निष्कर्ष

       धर्म शास्त्रों की बातें किताबी ज्ञान बन कर रह गई है। आप को भी थोड़ा प्रैक्टिकल होना पड़ेगा। आप एक बात से अच्छी तरह से वाकिफ हो कि असली सुख परिवारजनो की खुशी में ही समाहित है। एक बुजुर्ग इंसान तो हर वक़्त अपनी संतान की खुशी की ही कामना करता है। एक अच्छी परवरिश जीवन पर्यन्त संतान को आपसे दूर नहीं ले जाती बल्कि सम्मान की भावना जागृत करती है। जरूरी है कि माँ बाप अपनी संतान को समय-समय पर धार्मिक तीर्थ स्थानों का भ्रमण करवाए। उन्हें भारतीय संस्कृति और अखंडता से रूबरू करवाए। जब तब आपके प्रति आपकी संतानों में प्रेम और सम्मान नहीं जगेंगा आप वास्तविक सुख से वंचित रहेंगे।

Read Also:  अनुशासन

“हम से हमारी उम्र न पूछना दोस्तों,

हम तो इश्क हैं हमेशा जवां रहते हैं।”

****

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading