आर्थिक कठिनाई का आशय सामान्यतः लिया जाता है “भौतिक साधनों को उपलब्ध कराने की क्षमता के अभाव” से। भौतिक साधनों को साधारणतः तीन श्रेणियों में रखा जा सकता है। एक, जीवन के लिए मौलिक आवश्यकता, जिसमे रोटी, कपड़ा और मकान आता है। दूसरी श्रेणी में वे सुविधाएँ आती हैं जिनसे जीवन आसान हो जाता है, जैसे चिकित्सा सुविधा, मनोरंजन, यातायात की सुविधा आदि। तीसरी श्रेणी वैसे सुविधाओं या वस्तुओं की होती है जो उस व्यक्ति विशेष के लिए आवश्यक हो।

हैदराबाद
यानि जिस तरह के जीवन शैली का वह पूरी ज़िंदगी आदी रहा हो, लगभग उसी स्तर का जीवन अगर नहीं मिल पाए तो यह भी आर्थिक कठिनाई कहा जाएगा। स्पष्टतः आर्थिक कठिनाई, या आर्थिक अभाव या गरीबी एक सापेक्ष शब्द है।
आर्थिक कठिनाई यद्यपि उम्र के किसी भी पड़ाव में हो सकती है। लेकिन वरिष्ठ व्यक्ति के लिए यह इसलिए अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि उनमें धीरे-धीरे शारीरिक क्षमता कम होने लगती है। नौकरी में एक निश्चित उम्र के बाद सेवानिवृति हो जाती है, भले ही आप शारीरिक रूप से अभी भी सक्षम हों।
व्यवसाय या कृषि जैसे कामों में भले ही ऐसी कोई बाध्यता नहीं होती हैं, फिर भी प्राकृतिक सीमा के कारण कार्यक्षमता कम हो जाती है। स्वाभाविक रूप से आय कम होने लगती है या बंद हो जाती है। ऐसे में उस तरह का जीवन शैली बनाए रखना एक चुनौती हो जाती है, व्यक्ति जिस तरह के जीवन का आदी होता है।
जो महिलाएँ आर्थिक रूप से पति पर निर्भर होती हैं, पति की अगर मृत्यु हो जाए और पति की नौकरी ऐसी नहीं रही हो जिसमे उसे पेंशन मिले, तो ऐसे में उसकी स्थिति बड़ी दयनीय हो जाती है।
कई बार आय तो होती हैं लेकिन जिम्मेदारियाँ अधिक होने से ये आय पर्याप्त नहीं हो पाती है। परिवार के बच्चों और युवा सदस्यों के लिए खर्च अधिक आवश्यक लगता है। ऐसे में वरिष्ठ व्यक्तियों के खर्चों में ही कटौती होती है। जबकि इस समय उनकी पोषण और चिकित्सा संबंधी ज़रूरतें बढ़ जाती हैं।
एक साधारण माध्यम वर्गीय व्यक्ति के आय और व्यय में अधिक अन्तर नहीं होता है। इसलिए उसकी योजनाएँ केवल निकट भविष्य के लिए ही होती हैं। वह दीर्घकालीन, दूरगामी या जोखिम वाला निवेश नहीं कर पाता है। इसका एक बहुत अच्छा उदाहरण स्वास्थ्य बीमा है।
निम्न और निम्न माध्यम आय वर्ग में अभी भी बीमा का प्रचलन कम है। ऐसे में अगर परिवार का कोई सदस्य बीमार पड़ जाता है तो परिवार आर्थिक रूप से बहुत दवाब में आ जाता है। चिकित्सा संबंधी खर्च हमारे देश में कर्ज का एक बड़ा कारण है।
विशेषज्ञ इन पाँच लक्षणों को आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की पहचान मानते हैं:
- 1. प्रतिदिन के खर्चों को पैसे के तंगी के कारण कल पर टालते रहना;
- 2. आर्थिक दस्तावेजों (जैसे चेक बुक आदि) में रुचि कम हो जाना;
- 3. प्रतिदिन के काम में आने वाले गणनाओं को भूलने लगना (जैसे दूध, किराया आदि का खर्च);
- 4. आर्थिक बातों में कम रुचि होना;
- 5. आर्थिक अवसरों के साथ जुड़े हुए खतरों को नहीं पहचानना;
ये समस्याएँ आर्थिक तंगी से भी हो सकती हैं या अलझाइमर जैसे किसी मानसिक बीमारी या शारीरिक पीड़ा से भी।
निःसंदेह वरिष्ठ लोगों की आर्थिक कठिनाई वस्तुनिष्ठ के साथ-साथ व्यक्तिनिष्ठ भी होती है।
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