राजकुमार, दिल्ली

प्रतिवर्ष 1 अक्टूबर को “अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस” के रूप में मनाया जाता है। 14 दिसंबर, 1990 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पास किए गए रेजोल्यूशन नंबर 45/106 के द्वारा अन्य प्रयासों के साथ प्रत्येक वर्ष 1 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी।
उद्देश्य
अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस मनाने का उद्देश्य है समाज के प्रति उनके योगदान के महत्व हो रेखांकित करना और वर्तमान समय में इस आयु वर्ग की चुनौतियों और अवसरों के प्रति जागरूकता फैलाना। प्रतिवर्ष संयुक्त राष्ट्र इस दिन के लिए एक विशेष थीम चुनता है। उस वर्ष विभिन्न अध्ययन, योजना और कार्य उस विशेष थीम यानि विषय को केंद्र में रख कर ही की जाती है।
तदनुसार वर्ष 2020 में अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस (1 अक्टूबर) का थीम है “महामारी: क्या वे बदलते हैं, हम उम्र और उम्रदराज होने से कैसे निपटे? (Pandemics: Do They Change How We Address Age And Aging?)।” पिछले वर्ष यानि 2019 में इसका थीम था “उम्र, समानता और सार्वभौम स्वास्थ्य संयोजन की ओर यात्रा (The Journey to Age Equality and Universal Health Coverage)।”
इसके समरूप कुछ अन्य आयोजन
अंतराष्ट्रीय स्तर पर औपचारिक रूप से इस दिवस को मनाने का आरंभ भले ही 1990 की घोषणा के अनुसार 1991 से हुआ हो, लेकिन कई देश ऐसे हैं जहाँ पहले से ही वृद्ध जनों के सम्मान के कोई विशेष त्योहार या उत्सव मनाया जाता है। उदाहरण के लिए संयुक्त राष्ट्र अमेरिका और कनाडा में “नेशनल ग्रैंडपेरेंट डे” चीन में “डबल नाइन्थ फेस्टिवल” और जापान में “उम्रदराज लोगों के सम्मान दिवस” के रूप में मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ राष्ट्रों को अपनी नीतियों को बनाने में मार्गदर्शन का कार्य भी करता है। आज दुनिया के लगभग सभी देश अपने-अपने देशों के वृद्ध जन के लिए राष्ट्रीय नीति की घोषणा कर चुके हैं और कोई भी योजना बनाते समय सभी आयु वर्ग की बात करने लगे है। यद्यपि अधिकांश देशों के ये प्रयास पर्याप्त नहीं है लेकिन धीरे-धीरे वे इस दिशा में बढ़ तो रहे हैं।
कैसे मनाए इस दिवस को
हम सब भी इस दिवस को अपने-अपने स्तर पर या अपने-अपने शैली में मना सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस हम इस तरह से भी मना सकते हैं – अपने परिवार के वृद्ध सदस्यों के साथ अच्छे से व्यवहार करें, उनके साथ समय बिताएँ और उनसे बातें करें। अपने आसपास के नर्सिंग होम, हॉस्पिटल या वृद्धाश्रम जाकर वहाँ रहने वाले वृद्ध व्यक्तियों से मिले और उनके साथ समय बिताएँ। हम उनके लिए कोई उपहार भी ले जा सकते हैं। किसी ऐसी संस्था से जुड़ कर स्वयंसेवक के रूप में काम कर सकते हैं जो वरिष्ठ नागरिकों के लिए कार्य करते हैं।
इस दिन एक रोचक खेल भी खेल सकते हैं। अपने परिवार का “फैमिली ट्री” बनाए और जाँच करें कि हम और हमारे भाई-बहनों में से किसको अपने परिवार का इतिहास सबसे ज्यादा पता है। इसमें अपने परिवार के वृद्ध सदस्यों की सहायता भी ले सकते हैं। अगर उत्साह और उत्सव पसंद हैं तो अपने पहचान के वरिष्ठ व्यक्तियों के लिए कोई मिलन समारोह (get together) या कोई छोटी-सी पार्टी का आयोजन भी कर सकते हैं। कई कंपनियाँ अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर कई तरह के छूट देती हैं। इसका लाभ उठा कर कुछ खरीददारी भी कर सकते हैं।
क्यों आवश्यकता पड़ी अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध जन दिवस मनाने की
जीवन प्रत्याशा बढ़ने के कारण 20 शताब्दी के उत्तरार्ध से वृद्ध जनों की संख्या बढ़ने लगी। वैश्विक स्तर पर 2019 में 65 वर्ष या इससे अधिक लोगों की संख्या 703 मिलियन है। इनमें सबसे अधिक वृद्ध जनसंख्या (261 मिलियन) पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में रहते थे। इसके बाद दूसरे सर्वाधिक वृद्ध जनसंख्या (200 मिलियन) यूरोप और उत्तरी अमेरिकी देशों में है। अगले तीन दशकों में यानि 2050 तक इस आयु वर्ग की वैश्विक जनसंख्या लगभग दो गुणी होकर 1.5 बिलियन हो जाने का अनुमान है। यह संख्या विकासशील और अल्पविकसित देशों में अधिक होने की संभावना है।
दूसरी तरफ संयुक्त परिवारों का टूटना, सामाजिक संरचना का कमजोर होना, युवा जनसंख्या का रोजगार या पढ़ाई के लिए अपने मूल जगह से पलायन, व्यक्तिवादी और भौतिकवादी प्रवृति में वृद्धि इत्यादि कई कारणों से वृद्ध अकेले और असहाय होने लगे। शारीरिक रूप से कमजोर होने के कारण ये अपराध के भी आसान शिकार हो जाते हैं। इस आयु वर्ग के लिए स्वास्थ्य और आर्थिक कठिनाइयाँ बहुत सामान्य हो जाती हैं। इन विभिन्न कारणों से उन्हें विशेष देखभाल, सम्मान और सहायता की आवश्यकता होती है।
यह समस्या कमोवेश रूप से विश्व के सभी देशों में है। पहले पश्चिमी देशों में ज्यादा हुई। लेकिन एकांगी विकास बढ़ने के साथ-साथ अब भारत और चीन जैसे परम्परागत मूल्यों वाले देशों में भी ऐसी समस्याएँ बढ़ी हैं। ऐसे में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे नीतियों की अवश्यता है जो सभी आयु वर्ग के लिए समान रूप से सहायक हो क्योंकि अपनी 15-20% जनसंख्या की अवहेलना कर कोई देश तरक्की नहीं कर सकता। जो देश अपनी पुरानी पीढ़ी का सम्मान नहीं कर सकते उसके युवा वर्ग नैतिक भावना से रहित निष्ठुर भौतिक कामना को ही अपना लक्ष्य मान लेता है। यहीं से किसी देश या समाज का पतन शुरू हो जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के प्रयास
बात 1982 की है। संयुक्त राष्ट्र संघ की अगुआई में यूरोपीय देश ऑस्ट्रिया के वियना शहर में एक वैश्विक सम्मेलन हुआ। इसे नाम दिया गया “World Assembly on Ageing यानि बढ़ती उम्र पर वैश्विक सम्मेलन।” बाद में इस वर्ष को संयुक्त राष्ट्र संघ ने अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध वर्ष भी घोषित किया। वियना सम्मेलन में सभी देश अपने देश में बुजुर्ग आबादी की समस्याओं पर अधिक ध्यान देने और इस इसके संबंध में जागरूकता फैलाने पर सहमत हुए और इसके लिए एक कार्य योजना (action plan) बनाया। इस दस्तावेज को “वियना इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन ऑन एजिंग” कहा गया।
1982 के वियना वैश्विक सम्मेलन ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बुजुर्गों की समस्याओं को अधिक औपचारिक रूप से चर्चा में ला दिया और अब इसके लिए एक निश्चित नीति बनाने का प्रयास होने लगा। इस दिशा में प्रयासों की एक क्रमबद्ध शृंखला शुरू हुई।
वियना सम्मेलन के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण प्रयास था संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) रेजोल्यूशन नंबर 45/106 पास करना। यह 14 दिसंबर, 1990 को पास किया गया था। इस रेजोल्यूशन द्वारा अन्य प्रयासों के साथ प्रत्येक वर्ष 1 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा भी की गई।
इसके अगले वर्ष यानि 1991 में संयक्त राष्ट्र महासभा ने “वृद्ध जनों के लिए सिद्धांत” की घोषणा की (रेजोल्यूशन 46/91)। वर्ष 2020 में वियना सम्मेलन की अगली कड़ी के रूप में स्पेन के मैड्रिड में दूसरा ऐसा वैश्विक सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में मुख्य विचार-बिन्दु था “21वीं सदी में उम्रदराज जनसंख्या के समक्ष आने वाले अवसरों और चुनौतियों का प्रत्युत्तर और सभी आयु वर्ग के लिए समाज का विकास।”
संयुक्त राष्ट्र संघ के “2030 के लिए एजेंडा और स्थायी विकास का लक्ष्य (The 2030 Agenda and the Sustainable Development Goals-SDGs)” में एक लक्ष्य यह स्वीकार करना भी है कि विकास का लक्ष्य तभी प्राप्त होगा जब यह सभी आयु वर्ग के लिए हो। प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा और समानता का अवसर मिले ।
अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध जन दिवस की उपयोगिता
कुछ लोग एक दिन को किसी दिवस के रूप में मनाए जाने को किसी समस्या के समाधान के लिए पर्याप्त नहीं मानते हैं। यह सच है कि किसी एक दिन बात कर लेने से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। लेकिन यह भी सच है कि एक विशेष दिन के बहाने हम कई तरह की गतिविधियाँ करते हैं, चर्चा करते हैं। इन बहानों से उस समस्या पर हमारा ध्यान जाता है। हो सकता है यह ऐसी समस्या या बात हो जिसके विषय में जानते हुए भी इस ध्यान नहीं दे पाते हों । इस तरह के दिवस या आयोजन हमें अपने व्यस्त समय में भी उसकी याद दिला देते हैं ।
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